ओवरब्रिज की दिशा पर विवाद: डिजाइन में खामी या अफसरों की भूल, SDM ने जांच के दिए आदेश

सीहोर
सीहोर शहर में पुराने इंदौर-भोपाल स्टेट हाईवे पर हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी के पास रेलवे गेट क्रमांक-104 पर बन रहा ओवरब्रिज अब विवादों में है। जब इस अधूरे ब्रिज की तस्वीर ड्रोन कैमरे से ली गई, तो यह भोपाल की तरह 90 डिग्री के तीखे मोड़ में नजर आया। दृश्य देखकर स्थानीय नागरिकों में रोष फैल गया। उनका कहना है कि ब्रिज की डिजाइन में बदलाव कर मनमानी की गई है, जिससे अब दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ गई है।
28 करोड़ की लागत, पर अधूरी योजना
जानकारी के अनुसार यह ओवरब्रिज 28 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा है। इसकी लंबाई 700 मीटर और चौड़ाई 15 मीटर रखी गई है। इसके लिए 24 पिलर तैयार हो रहे हैं। दस मीटर ट्रैक के ऊपर 7.30 मीटर ऊंचाई तय की गई है। निर्माण शुरू होने के साथ ही तकनीकी खामियां उजागर होने लगीं। रहवासियों का कहना है कि अधिकारियों ने सर्वेक्षण किए बिना ही कार्य शुरू कर दिया। परिणामस्वरूप अब ब्रिज की दिशा बदलनी पड़ी, जिससे यह 90 डिग्री एंगल का हो गया।
दोनों तरफ एप्रोच रोड न बनने से गुस्सा
यह ब्रिज शहर के सबसे व्यस्त मार्ग पर बन रहा है, जहां रोज हजारों वाहन और स्कूली बच्चे गुजरते हैं। इसके बावजूद दोनों तरफ एप्रोच रोड नहीं बनाई जा रही। इस कारण लोग असुरक्षित रास्तों से गुजरने को मजबूर हैं। स्थानीय नागरिकों घनश्याम गुप्ता, मनोज गुजराती का कहना है कि हम विकास के खिलाफ नहीं, गलत डिजाइन के खिलाफ हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि जल्द सुधार नहीं किया गया, तो वे लोकायुक्त, मानव अधिकार आयोग और आखिरकार हाई कोर्ट तक जाएंगे।
डिजाइन में गंभीर खामियां, जिम्मेदारी तय नहीं
ब्रिज के डिजाइन को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें कई इंजीनियरिंग गलतियां हैं। जहां ब्रिज उतरता है, वह भूमि निजी स्वामित्व की है। इस गलती के कारण मजबूरन निर्माण एजेंसी को ब्रिज को मोड़ना पड़ा और सिर्फ एक ओर सर्विस रोड दी गई। यही कारण है कि अब यह ब्रिज प्रदेश का शायद पहला ऐसा लहराता ओवरब्रिज बन गया है, जो सुरक्षा की बजाय जोखिम का प्रतीक बन गया है।
स्थानीय विरोध तेज, प्रशासन हरकत में
जैसे-जैसे विरोध बढ़ा, वैसे-वैसे प्रशासन भी हरकत में आया। सीहोर एसडीएम तन्मय वर्मा ने बताया कि ब्रिज कारपोरेशन के ईई ए.आर. मोरे को जांच के आदेश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि जनहित सर्वोपरि है, जो भी त्रुटि मिलेगी, उसे सुधारा जाएगा। वहीं नागरिकों का कहना है कि जांच केवल औपचारिकता बनकर न रह जाए।
लोगों में रोष
स्थानीय कांग्रेस नेताओं और रहवासियों ने कहा कि यह ब्रिज विकास की बजाय प्रशासनिक लापरवाही का उदाहरण बन गया है। जिस शहर से होकर सीएम का गृह जिला मार्ग निकलता है, वहां ऐसा अधूरा और खतरनाक ब्रिज बनना शर्मनाक है। लोगों का कहना है कि सीहोर में विकास की रफ्तार नहीं, दुर्घटनाओं की तैयारी चल रही है। अब हर आंख इस बात पर टिकी है कि जांच के बाद क्या यह 90 डिग्री का ब्रिज सीधा होगा या जनता का विरोध और बढ़ेगा।




