इंदौर में शारदीय नवरात्रि महोत्सव का भव्य प्राकट्य

मां दुर्गा के 23 रूप, 12 ज्योतिर्लिंग, 11 हज़ार अष्टलक्ष्मी कलश, महालक्ष्मी‐मंत्र का कोटि‐जप, 10 लाख आहुतियाँ
विशेष संवाददाता इंदौर। इस वर्ष का शारदीय नवरात्रि महोत्सव अपने दिव्य, ऐतिहासिक और अभूतपूर्व स्वरूप के साथ इंदौर को मध्य भारत की आध्यात्मिक राजधानी में रूपांतरित करने जा रहा है। लता मंगेशकर ऑडिटोरियम के समीप, माणिकचंद वाजपेयी मार्ग, परस्पर नगर, स्कीम नंबर 97/4, नर्मदा चौराहा पर भूमि पूजन वैदिक मंत्रोच्चार तथा कृष्णगिरि पीठाधीश्वर जगद्गुरु श्री वसंत विजयानंद गिरि जी महाराज के आशीर्वचन के साथ सम्पन्न हुआ।
कृष्णगिरि पीठाधीश्वर जगद्गुरु श्री वसंत विजयानंद गिरि जी महाराज श्री ने बताया कि नवरात्रि आत्मशुद्धि, साधना और शक्ति‐संचय का पर्व है; अतः इस आयोजन को केवल सांस्कृतिक उत्सव नहीं, समूह भक्ति, सेवा और तप का महामंच बनाया जा रहा है। विशाल मैदान में दुनिया का पहला ऐसा पंडाल खड़ा होगा, जहाँ माँ दुर्गा के 23 रूप दस‐दस फ़ीट ऊँचाई में एक साथ दर्शन देंगे और 12 ज्योतिर्लिंगों के 50‐50 फ़ीट की प्रतिमा का निमार्ण किया जा रहा है। श्रद्धालुओं को अखिल‐भारत के तीर्थों का पुण्य यहीं पर विलोपित दूरी के बिना प्रदान करेंगे। यह संपूर्ण महोत्सव पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होलकर को समर्पित है; उनके द्वारा पुनर्विकसित 12 ज्योतिर्लिंगों की स्मृति में उनकी एक भव्य प्रतिमा भी स्थापित होगी। साथ ही मध्यप्रदेश की समस्त प्रसिद्ध प्रतिकृतियाँ-सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और प्राकृतिक यहाँ बनाई जा रही हैं, जिससे स्थल एक जीवंत विरासत परिसर बन जाएगा।
महोत्सव में त्रिवेणी संगम
इस भव्य महोत्सव में तप, सेवा और भक्ति का त्रिवेणी संगम देश – दुनिया से आने वाले श्रद्धालुओं को देखेने काे मिलेगा। आयोजन में 100 गरीब बेरोजगार युवकों चयनित कर के 2-2 लाख रुपए ऑटो के लिए दिये जाएंगे, ताकि वे अपना जीवन को सुधार सके रोजगार से भरण-पोषण कर सके। 300 करोड का मेडिकल इंश्योरेंस 300 करोड का मेडिकल इंश्योरेंस पॉलिसी गरीब बच्चों को दी जाएगी । गरीबी के कारण बच्चों का ईलाज नहीं हो पाता इसलिए, हर बच्चा अब पॉलिसी के माध्यम से स्वास्थ्य लाभ ले सके इस शुभ संकल्प के साथ महोत्सव में सेवा की जाएगी।
11 हज़ार अष्टलक्ष्मी कलश
उत्सव का आध्यात्मिक हृदय 11 हज़ार अष्टलक्ष्मी कलश हैं, जो सोने पर्तों हस्तनिर्मित पात्रों में 451 दुर्लभ औषधियों, असली नवरत्न, चाँदी के सिक्के, 32 उपरत्न और 108 नारायण मंदिरों के चरण‐कुमकुम के साथ प्रतिष्ठित होंगे। इन कलशों को एक करोड़ “ महालक्ष््मी के” मंत्रों से सिद्ध किया जाएगा एवं माँ के चरणों में दस लाख कुंकुम अर्चनाएँ अर्पित होंगी।
30 हज़ार किलो मावे से यज्ञ
साथ ही, 30 हज़ार किलो मावे, 20 हज़ार किलो चंदन की लकड़ी, बेलवृक्ष की सामग्री और 7 हज़ार किलो देशी गाय के घी से श्रेष्ठ महायज्ञ रचा जाएगा, जिसमें 10 लाख आहुतियाँ समर्पित होंगी। मान्यता है कि जब एक लाख साधक एक साथ मंत्रोच्चारण करते हैं, तो उसका प्रभाव करोड़ों गुना हो जाता है; इसी सिद्धान्त पर यह यज्ञ समष्टि‐कल्याण का सेतु रचेगा।
पूरा आयोजन ग्यारह दिनों तक लगातार देवी भागवत कथा से गुंजित रहेगा; प्रत्येक दोपहर महायज्ञ की अग्नि प्रज्वलित होगी और प्रतिदिन संध्या सात बजे भक्ति संगीत, प्रवचन तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम भक्तों को माँ की महिमा से सराबोर करेंगे। उत्कृष्ट शिल्प के लिए लगभग 700 कुशल कारीगर चौबीसों घंटे कार्यरत हैं और आज से अगले तीन माह तक विशाल पंडाल, प्रतिमाएँ, ज्योतिर्लिंग एवं सांस्कृतिक प्रदर्शनी के ढाँचे तैयार किए जाएँगे, ताकि नवरात्रि प्रारम्भ होते ही श्रद्धालुओं को एक सम्पूर्ण आध्यात्मिक नगरी का अनुभव मिल सके।
कृष्णगिरि पीठाधीश्वर जगद्गुरु श्री वसंत विजयानंद गिरि जी महाराज जी समस्त राष्ट्र और विश्वभर के श्रद्धालुओं को आह्वान कर रहे हैं कि वे इस नवरात्रि‐महोत्सव में सम्मिलित हों, समूह भक्ति की अनंत शक्ति का प्रत्यक्ष अनुभव करें, और माँ भगवती की असीम कृपा के सहभागी बनें। यह नवरात्रि उत्सव नहीं, बल्कि युग‐परिवर्तन की ओर अग्रसर आध्यात्मिक जागरण है।