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पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी परियोजना पर 20 सालों का विवाद हुआ खत्म

जयपुर। पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी परियोजना पर 20 सालों से चला आ रहा विवाद अब समाप्त हो गया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मिलकर इसका हल निकाल लिया है।

मध्य प्रदेश के भोपाल में रविवार को राज्यस्तरीय कार्यक्रम के दौरान एपी के सीएम डॉ. मोहन यादव और राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा की मौजूदगी में पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी परियोजना पर वैधानिक कार्रवाई पूरी हुई।

मध्य प्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि दोनों राज्यों के बीच थोड़े मनमुटाव थे, जिन्हें पहले भी खत्म किया जा सकता था। मगर मगर ऐसा हुआ नहीं, जनता और किसान परेशान होते रहे। मगर इस मामले में जनवरी से ही गंभीरता से विचार किया गया और दोनों राज्यों को पानीदार बनाया। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि कांग्रेस की तत्कालीन सरकार की वजह से जनता को पानी की किल्लत झेलना पड़। अब हम पीछे मुड़कर नहीं देखेंगे, पानी की कमी नहीं होगी।

बता दें कि यह परियोजना 72 हजार करोड़ रुपए की है। मध्य प्रदेश 35 हजार करोड़ और राजस्थान 37 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगा। मध्य प्रदेश की 3.37 लाख हेक्टेयर जमीन में सिचाई होगी। करीब 30 लाख किसानों को फायदा होगा। राजस्थान में 2.80 लाख हेक्टेयर खेत की सिचाई होगी। 2 लाख से अधिक किसानों को फायदा होगा। दोनो ही प्रदेश के 13-13 जिले के किसानों को फायदा होगा। जानकारी के अनुसार इस परियोजना में 17 बांध बनेंगे। इसमें जल भराव क्षमता 1477.62 मिलियन घन मीटर होगी।

इसके अलावा इस आयोजन में मुख्यमंत्री भजनलाल ने कहा कि राजस्थान और मध्यप्रदेश का भौगोलिक दृष्टि के साथ ही ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से भी गहरा नाता है। पर्यटन इन राज्यों की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि दोनों राज्यों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए साझा रूप से पर्यटन सुविधाएं विकसित की जाने की अपार संभावनाएं हैं। इससे न केवल पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी, बल्कि स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

सीएम ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार की कृष्ण पथ गमन योजना में राजस्थान के स्थलों को भी सम्मिलित किया जा सकता है। साथ ही, धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान के श्री खाटू श्याम जी और उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मन्दिर सहित देवदर्शन के स्थानों को सम्मिलित करते हुए पर्यटन सर्किट विकसित किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि दोनों प्रदेशों के सीमावर्ती वन्यजीव क्षेत्रों के संरक्षण की दिशा में साझा प्रयास किए जाएंगे।

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