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ज्ञानवापी केस: सर्वे में मिले शिवलिंग की होगी कार्बन डेटिंग, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया आदेश





नई दिल्ली। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे के दौरान मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने का आदेश दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी के जिला जज का आदेश दरकिनार करते हुए एएसआई को आधुनिक पद्धति के आधार पर ‘शिवलिंग’ का साइंटिफिक सर्वे (कार्बन डेटिंग) कराने का आदेश सुनाया।

ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में पाए गए ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग करने की अनुमति देने पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, हमारी साइंटिफिक जांच की मांग को जिला जज ने खारिज किया था जिसे हमने इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती थी दी। हाई कोर्ट ने सारे पक्षों को सुनने के बाद हमारी याचिका को माना और 22 तारिख इस जांच के लिए तय की है।

बता दें कि ज्ञानवापी विवाद को लेकर हिन्दू पक्ष का दावा है कि इसके नीचे 100 फीट ऊंचा आदि विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है। काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करीब 2050 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने करवाया था, लेकिन मुगल सम्राट औरंगजेब ने साल 1664 में मंदिर को तुड़वा दिया। दावे में कहा गया है कि मस्जिद का निर्माण मंदिर को तोड़कर उसकी भूमि पर किया गया है जो कि अब ज्ञानवापी मस्जिद के रूप में जाना जाता है।

याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कर यह पता लगाया जाए कि जमीन के अंदर का भाग मंदिर का अवशेष है या नहीं। साथ ही विवादित ढांचे का फर्श तोड़कर ये भी पता लगाया जाए कि 100 फीट ऊंचा ज्योतिर्लिंग स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ भी वहां मौजूद हैं या नहीं। मस्जिद की दीवारों की भी जांच कर पता लगाया जाए कि ये मंदिर की हैं या नहीं।

याचिकाकर्ता का दावा है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के अवशेषों से ही ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण हुआ था। इन्हीं दावों पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करते हुए आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) की एक टीम बनाई। इस टीम को ज्ञानवापी परिसर का सर्वे करने के लिए कहा गया था।

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