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जस्टिस यशवंत वर्मा की बढ़ी मुश्किलें, 145 सांसदों ने महाभियोग चलाने का प्रस्ताव दिया, स्पीकर को सौंपा लेटर

नई दिल्ली। कैश जलने के मामले में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किल बढ़ती दिख रही है। लोकसभा में 145 और राज्यसभा में 63 सांसदों ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने का प्रस्ताव दिया है।

किसी जज को महाभियोग के जरिए हटाने के प्रस्ताव पर लोकसभा में कम से कम 100 और राज्यसभा में 50 सांसदों के दस्तखत की जरूरत होती है। महाभियोग चलाने पर लोकसभा के अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति अंतिम फैसला लेते हैं।

जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपने खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दाखिल की है। याचिका में जस्टिस वर्मा ने कहा है कि कानून के खिलाफ जाकर जजों की कमेटी ने उनको साबित करने के लिए कहा कि कैश जलने के मामले में वो गुनहगार नहीं हैं।

जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दी याचिका में जजों की कमेटी की रिपोर्ट रद्द करने की अपील की है। जस्टिस वर्मा ने याचिका में कहा है कि जजों की कमेटी ये साबित नहीं कर सकी कि कैश के मालिक ने आवास से उसे हटाया। सुप्रीम कोर्ट अगर जस्टिस यशवंत वर्मा के पक्ष में फैसला देता है, तो उससे उनके खिलाफ महाभियोग पर असर पड़ सकता है।

कैश जलने का ये मामला 14 मार्च 2025 का है। होली की रात जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास के स्टोर रूम में आग लगी थी। आग बुझाने दिल्ली फायर सर्विस और पुलिस के अफसर व जवान पहुंचे थे। मौके पर पहुंचे दिल्ली पुलिस के अफसरों ने पाया कि आग से काफी कैश भी जला है। उन्होंने इसका वीडियो बनाकर दिल्ली पुलिस कमिश्नर को भेजा था। उन्होंने इसकी जानकारी दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय को दी थी।

सारे मामले की जानकारी तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना तक पहुंची, तो उन्होंने जांच के लिए तीन जजों की कमेटी बनाई थी। इस कमेटी की रिपोर्ट सीजेआई रहे संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति और पीएम नरेंद्र मोदी को भेजी थी। आग लगने के दिन जस्टिस वर्मा अपने आवास पर नहीं थे। वो रीवा गए थे। आवास पर उनकी बुजुर्ग मां और बेटी थीं। जस्टिस यशवंत वर्मा का ये भी कहना है कि आग बुझाने के बाद जब उनकी बेटी और स्टाफ के लोग मौके पर गए, तो वहां उनको कोई कैश नहीं दिखा था। जस्टिस वर्मा इसे अपने खिलाफ साजिश बता रहे हैं।

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