ड्रोन हमले में अल जवाहिरी की मौत पर भड़का तालिबान, अमेरिका को लेकर कही ये बात

नई दिल्ली। अमेरिका ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में ड्रोन स्ट्राइक में अलकायदा के सरगना अयमान अल-जवाहिरी को मार गिराया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने खुद जवाहिरी की मौत की पुष्टि की है। लादेन की मौत आतंकी संगठन अल कायदा को सबसे बड़ा झटका है। अफगानिस्तान में अल कायदा के सरगना अल जवाहिरी के मारे जाने के बाद तालिबान की प्रतिक्रिया आई है और अमेरिकी ड्रोन हमले की निंदा की है।
तालिबान के प्रवक्ता जबिउल्लाह मुजाहिद ने माना कि काबुल के शेरपुर इलाके में 31 जुलाई की रात एयर स्ट्राइक हुई और जांच में पता चला कि इस हमले को अमेरिकी ड्रोन के जरिये अंजाम दिया गया। अफगानिस्तान ने अमेरिकी ड्रोन अटैक की निंदा करते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय कानून और दोहा समझौते का उल्लंघन करार दिया है।
जवाहिरी को मारने के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि अलकायदा चीफ को शरण देकर तालिबान ने दोहा एग्रीमेंट का उल्लंघन किया है। ब्लिंकन ने बयान जारी कर कहा, एक तरफ तालिबान दुनिया से कहता रहा है कि वह अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकियों को नहीं करने देगा। लेकिन जवाहिरी को शरण देकर उसने दोहा एग्रीमेंट का उल्लंघन किया है।
अल जवाहिरी को अमेरिका में 11 सितंबर, 2001 को हुए आतंकी हमले का मास्टरमाइंड कहा जाता है। उसे दुनिय के मोस्ट वॉन्टेड आतंकियों की लिस्ट में शामिल किया गया था और लंबे समय से अमेरिका उसकी तलाश कर रहा था। पहले भी अमेरिका की ओर से जवाहिरी को मार गिराने के दावे किए गए थे, लेकिन खुद जवाहिरी ही कई बार टेप जारी कर उन्हें खारिज कर चुका था। हालांकि कभी अमेरिकी राष्ट्रपति ने बयान जारी कर जवाहिरी के मारे जाने की बात नहीं कही थी। बीते साल अगस्त में ही अमेरिका ने अफगानिस्तान से वापसी की थी और उसके ठीक के एक साल बाद उसने यह बड़ी कार्रवाई की है।
साल 2020 में कतर की राजधानी दोहा में अमेरिका और तालिबान के बीच एक समझौता हुआ था। जिसके तहत अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपने सैनिक हटाने की बात कही थी तो वहीं तालिबान ने भी शांति के पालन के तहत अमेरिकी सेना पर हमले नहीं करने का वादा किया था। समझौते के वक्त अफगानिस्तान में अमेरिका के करीब 15 हजार सैनिक थे। अमेरिका ने वादे के अनुसार अगले 14 महीनों में अपनी सेना को बुला लिया था, वहीं तालिबान ने भी अल कायदा समेत कई आतंकी संगठनों के प्रवेश पर पाबंदी लगाने की बात भी कही थी।