Dec 12 2023 / 12:46 AM

चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन करें मां कालरात्रि की पूजा, जानें विधि, मंत्र एवं आरती

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देशभर में नवरात्र का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। कल यानी 21 अक्टूबर को नवरात्र का सातवां दिन है। इस दिन माता कालरात्रि की पूजा होती है। मां कालरा​त्री चार भुजाधारी हैं। मां कालरात्री को तंत्र, मंत्र और यंत्र की देवी भी कहा जाता है।

पौराणिक कथा अनुसार असुर रक्तबीज का वध करने के लिए मां दुर्गा ने ही कालरात्रि को अपने तेज से उत्पन्न किया था। अगर व्यक्ति मां कालरात्रि के नाम का उच्चारण बस कर लें तो उसके मन से भूत, प्रेत, राक्षस, दानव की बुरी शक्तियां भाग जाती हैं। इनका पूजन करने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाता है।

मां का​लरात्रि का पूजन करने से जातक के घर व जीवन में आ रही निगेटिविटी दूर होती है। साथ ही माता रानी प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। सप्तमी तिथि के दिन मां कालरात्रि का पूजन करते समय आरती, कथा व मंत्रों का जाप जरूर करना चाहिए। इससे जीवन में पॉजिटिविटी आती है।

मां कालरात्रि कथा
मां कालरात्रि देवी दुर्गा के 9 स्वरूपों में से एक हैं, मां कालरात्रि का रंग कृष्ण वर्ण का है, काले रंग के कारण उनको कालरात्रि कहा गया है। चार भुजाओं वाली मां कालरात्रि दोनों बाएं हाथों में क्रमश: कटार और लोहे का कांटा धारण करती हैं। मां दुर्गा ने असुरों के राजा रक्तबीज का संहार करने के लिए अपने तेज से मां कालरात्रि को उत्पन्न किया था।

मां कालरात्रि पूजन विधि
नवरात्रि के सातवें दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर मां कालरात्रि का स्मरण करें, फिर माता को अक्षत्, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ का नैवेद्य श्रद्धापूर्वक चढ़ाएं। मां कालरात्रि का प्रिय पुष्प रातरानी है, यह फूल उनको जरूर अर्पित करें। इसके बाद मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें तथा अंत में मां कालरात्रि की आरती करें।

मां कालरात्रि के मंत्र
‘ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:’

मंत्र-
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥

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