शरद पूर्णिमा के दिन लगेगा साल का आखिरी चंद्र ग्रहण, इन बातों का रखें ध्यान

इस बार 28 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा है और इस दिन साल का अंतिम चंद्रग्रहण भी लगने वाला है। हिंदू धर्म के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर पृथ्वी पर अमृत वर्षा करते हैं। चंद्रमा की अमृत वर्षा के कारण इस दिन पर खीर बनाने की परंपरा वर्षों से चलती चली आ रही है।
माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन खीर को पूरी रात रखने से खीर का महत्व अधिक हो जाता है। लेकिन इस बार शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। अब ऐसे में लोग असमंजस में पड़े हैं कि खीर इस बार शरद पूर्णिमा की रात्रि में रखें या न रखें। आइये जानते हैं कि इस बार शरद पूर्णिमा में खीर का भोग कैसे लगाया जाएगा और खीर को शरद पूर्णिमा के दिन रखने का क्या है नियम।
चंद्र ग्रहण 2023 कब है?
साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर 2023 को लगने जा रहा है। जो कि भारतीय समय के अनुसार रात 11 बजकर 32 मिनट पर शुरू होगी और 29 अक्टूबर को सुबह 3 बजकर 36 मिनट पर समाप्त होगा।
क्यों लगता है चंद्र ग्रहण?
जब सूर्य और चंद्रमा के बीच में पृथ्वी आती है तब चंद्र ग्रहण लगता है। जिसे बेहद ही महत्वपूर्ण खगोलीय घटना माना गया है और इसलिए पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों की ग्रहण पर नजर होती है। वहीं धार्मिक दृष्टिकोण चंद्र ग्रहण एक अशुभ घटना होती है और राहु-केतु से जोड़ा जाता है। कहते हैं कि व्यक्ति के जीवन पर ग्रहण का बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए इस दौरान भगवान की अराधना करने की सलाह दी जाती है।
भारत में चंद्र ग्रहण दिखेगा या नहीं?
इस साल जितने भी ग्रहण पड़े उनमें से कोई भी भारत में दिखाई नहीं दिया। लेकिन 28 अक्टूबर को लगने वाला साल का आखिरी चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा। ऐसे में भारत में सूतक काल भी मान्य होगा। बता दें कि चंद्र ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है और इस दौरान कई तरह के नियमों का पालन किया जाता है। सूतक काल ग्रहण से 9 घंटे पहले शुरू होता है और ग्रहण समाप्त होने पर खत्म होता है।
शरद पूर्णिमा की खीर का क्या करें
इस बार शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर 2023 के दिन पड़ रही है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण मेष राशि में लगने जा रहा है। इस दिन खीर बनाना और चंद्रमा की रोशनी में रखना दोनों का विशेष महत्व होता है। चंद्र ग्रहण से ठीक 9 घंटे पहले सूतक लग जाएगा। मान्यता है कि ग्रहण के दौरान कुछ भी नहीं खाया जाता है। ऐसे में सूतक काल से पहले ही गाय का दूध लाकर खीर बना लें और उसमें तुलसी की पत्ती डाल दें। फिर उसके बाद खीर का भोग लगा लें। चंद्र ग्रहण लगने से पहले आप खीर को चंद्रमा की रोशनी से हटा लें। यदि संभव हो तो चंद्र ग्रहण खत्म होने के बाद आप स्नान करें और उसके बाद दूध की खीर को चंद्रमा की रोशनी में रख दें।
शरद पूर्णिमा के दिन खीर से होती हैं मां लक्ष्मी प्रसन्न
पौराणिक मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन समुद्र मंथन के दौरान समुद्र में से लक्ष्मी जी प्रकट हुईं थीं और मां लक्ष्मी को चावल, शक्कर और दूध से बनी खीर अति प्रिय है। शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी भी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए लोग खीर बनाते हैं।
चंद्र ग्रहण के दौरान इन बातों का रखें ध्यान
चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है और फिर ग्रहण खत्म होने तक इस दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं किया जाता। सूतक काल में मंदिर के कपाट यानि द्वार बंद कर दिए जाते हैं और पूजा-पाठ भी नहीं होते। हिंदू धर्म में सूतक काल को अशुभ समय माना गया है इसलिए इस दौरान शुभ कार्य करने की मनाही होती है।
सूतक काल से लेकर ग्रहण समाप्त होने तक गर्भवती महिला को अपना विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दौरान चाहें जितना भी जरूरी क्यों न हो, घर से बाहर न निकलें। न ही कोई ऐसा काम करें जिसमें नुकीली या धारदार चीजों का इस्तेमाल हो। कहते हैं कि इससे गर्भ के भीतर बच्चे को परेशानी हो सकती है।