Oct 04 2023 / 6:15 AM

पितृपक्ष 2022: जानें श्राद्ध की सभी तिथियां

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हिंदू धर्म शास्त्रों और मान्यताओं के अनुसार माता-पिता और घर के बड़ों का सम्मान और उनकी सेवा करना किसी यज्ञ और पूजा से कम नहीं है। माता-पिता जब तक संसार में हैं तब ही नहीं बल्कि संसार से जाने के बाद यानी उनकी मृत्यु के बाद भी वह पुरखों के रूप में देव तुल्य माने जाते हैं। उनकी आत्मा को पूर्ण रूप से मुक्ति प्रदान करने के लिए लोग श्राद्ध करते हैं।

हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक पितृ पक्ष मनाया जाता है। यह कुल 16 दिनों की अवधि होती है। इस साल पितृ पक्ष 10 सितंबर से प्रारंभ हो रहा है जो 25 सितंबर को समाप्त होगा।

ये है पितृ पक्ष की प्रमुख तिथियां-

10 सितंबर 2022 – पूर्णिमा श्राद्ध भाद्रपद, शुक्ल पूर्णिमा

11 सितंबर 2022 – प्रतिपदा श्राद्ध, आश्विन, कृष्ण प्रतिपदा

12 सितंबर 2022 – आश्विन, कृष्ण द्वितीया

13 सितंबर 2022 – आश्विन, कृष्ण तृतीया

14 सितंबर 2022 – आश्विन, कृष्ण चतुर्थी

15 सितंबर 2022 – आश्विन, कृष्ण पंचमी

16 सितंबर 2022 – आश्विन, कृष्ण षष्ठी

17 सितंबर 2022 – आश्विन, कृष्ण सप्तमी

18 सितंबर 2022 – आश्विन, कृष्ण अष्टमी

19 सितंबर 2022 – आश्विन, कृष्ण नवमी

20 सितंबर 2022 – आश्विन, कृष्ण दशमी

21 सितंबर 2022 – आश्विन, कृष्ण एकादशी

22 सितंबर 2022 – आश्विन, कृष्ण द्वादशी

23 सितंबर 2022 – आश्विन, कृष्ण त्रयोदशी

24 सितंबर 2022 – आश्विन, कृष्ण चतुर्दशी

25 सितंबर 2022 – आश्विन, कृष्ण अमावस्या

पिंडदान से मिलती है पुरखों को शांति –

पितृपक्ष में हमारे पुरखों के नाम पर पिंडदान और श्राद्ध करने का महत्व है। खासकर बिहार स्थित ‘गया जी’ में पिंडदान करना सबसे अच्छा माना जाता है। सभी की कोशिश होती है कि जीवन में वह एक बार ‘गया जी’ जाकर अपने पितरों के लिए पिंडदान कर सके। इसके साथ ही जिस तिथि में पुरखों की मृत्यु हुई हो उस तारीख में ब्राह्मणों और अपने कुल के लोगों को भोज कराया जाता है।

पितृ पक्ष का महत्व-

पूरे साल अपने कामों में उलझे लोग इस पितृ पक्ष के दौरान सारे मांगलिक कार्य छोड़कर पुरखों के लिए तर्पण करते हैं। क्योंकि वाकई इन दिनों का हमारे पुराणों में काफी महत्व है। आपको बता दें कि पितृ पक्ष में कई काम करने पर रोक है। जैसे किसी भी तरह के शुभ संस्कार- विवाह, मुंडन, उपनयन, नामकरण आदि इस दौरान वर्जित हैं। इसके साथ ही नए मकान या वाहन खरीदने से भी मना किया जाता है। अगर किसी की कुंडली में पितृ दोष हो तो उससे मुक्ति पाने के लिए यह समय सबसे अच्छा होता है। इसलिए इन दिनों में सभी की यह कोशिश होती है कि वह अपने पितरों को खुश करने और उनका आर्शीवाद पाने के लिए कोई कमी ना छोड़ें।

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