नहाय-खाय के साथ कल से शुरू होगा महापर्व छठ, जानिए शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व

सनातन धर्म में छठ पर्व का विशेष महत्व है। यह पर्व मुख्य रूप से भगवान सूर्य और छठी माता की उपासना के लिए समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चार दिन तक चलने वाले छठ पर्व में सूर्य देव और छठी माता की उपासना करने से परिवार में खुशहाली आती है और संतान के उज्जवल भविष्य की प्रार्थना पूर्ण होती है।
इस साल छठ महापर्व की शुरुआत 17 नवंबर 2023 से हो रही है, जिसका समापन 20 नवंबर को होगा। छठ पूजा की खास रौनक बिहार, नेपाल, झारखंड, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में देखने को मिलती है। बता दें कि छठ पूजा का ये त्यौहार पूरे चार दिनों तक मनाया जाता है। पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य और उसके अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है।
नहाय खाय
छठ पर्व का पहला दिन नहाए-खाय के नाम से जाना जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। व्रती महिलाएं इस दिन केवल एक बार ही भोजन ग्रहण करती हैं। बता दें कि इस वर्ष नहाय खाय 17 नवंबर 2023 के दिन है।
खरना
छठ पर्व का दूसरे दिन को खरना के नाम से जाना जाता है। इस विशेष दिन पर सूर्योदय से सूर्यास्त तक व्रती महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। बता दें कि इस वर्ष खरना 18 नवंबर 2023 के दिन मनाया जाएगा।
छठ पूजा
छठ महपर्व के तीसरे दिन मुख्य पूजा की जाती है। इस दिन अस्त हो रहे सूर्य को अर्घ्य प्रदान किया जाता है, जिसे संध्या अर्घ्य के नाम से भी जाना जाता है। इस बार का संध्या अर्घ्य 19 नवंबर 2023 के दिन दिया जाएगा।
उषा अर्घ्य
छठ महापर्व के अंतिम दिन उदय होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जिसे उषा अर्घ्य के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सूर्य को अर्घ्य प्रदान करने के बाद व्रत का पारण किया जाता है। बता दें कि छठ महापर्व व्रत पारण 20 नवंबर 2023 को किया जाएगा।
छठ पूजा का महत्व
हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व में महिलाएं 36 घंटे का निर्जला उपवास करते हैं। यह व्रत संतान की दीर्घायु और परिवार की समृद्धि के लिए किया जाता है। छठ का व्रत महिलाओं के अलावा पुरुष भी रखते हैं। छठ में सूर्य देव और छठी मईया की पूजा विधि-विधान और नियम, निष्ठा के साथ की जाती है। मान्यता है कि आप इस व्रत में जितनी श्रद्धा से नियमों और शुद्धता का पालन करेंगे छठी मईया आपसे उतनी ही प्रसन्न होंगी।