करवा चौथ व्रत आज, जानें पूजन मुहूर्त और चंद्रोदय का समय

वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन करवा चौथ व्रत रखा जाता है। इस वर्ष यह 01 नवंबर 2023, बुधवार के दिन रखा जाएगा। इस विशेष दिन पर सुहागिन महिलाएं अपने जीवनसाथी की लंबी उम्र के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। इस दिन माता गौरी का पूजन किया जाता है और उनसे प्रार्थना की जाती है कि वह दांपत्य जीवन में खुशहाली का आशीर्वाद दें।
इसके बाद चंद्रमा उदय होने के बाद और अर्घ्य देने के बाद ही महिलाएं अपना व्रत पूर्ण करती हैं। आइए जानते हैं इस पूजन मुहूर्त और आपके शहर में चंद्रोदय का समय।
करवा चौथ की तिथि
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि आरंभ: 31 अक्टूबर, मंगलवार, रात्रि 09:30 मिनट से
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि समाप्त:1 नवंबर, बुधवार, रात्रि 09:19 मिनट तक।
चतुर्थी तिथि का चंद्रोदय 1 नवंबर को होगा, इसलिए इसी दिन करवा चौथ का व्रत किया जाएगा।
करवा चौथ पूजन का शुभ मुहूर्त
पूजा शुभ मुहूर्त- शाम 05:34 मिनट से 06: 40 मिनट तक
पूजा की अवधि- 1 घंटा 6 मिनट
अमृत काल- शाम 07:34 मिनट से 09: 13 मिनट तक
सर्वार्थ सिद्धि योग- पूरे दिन और रात
करवा चौथ 2023 पूजा सामग्री
जिन महिलाओं को करवा चौथ का व्रत रहना है, वे नीचे दिए गए पूजन सामग्री की व्यवस्था पहले से ही कर लें।
एक थाली, मिट्टी का करवा और ढक्कन, एक छलनी।
करवा माता की तस्वीर, लाल रंग की चुनरी, लकड़ी की चौकी।
लहुआ, 8 पूड़ियों की अठावरी, दक्षिणा।
कच्चा, दूध, दही, देसी घी, हल्दी, चावल, मिठाई।
एक कलश, चंदन, पान का पत्ता, शक्कर का बूरा, फूल, शहद।
मौली या रक्षासूत्र, रोली, कुमकुम।
सोलह श्रृंगार की समाग्री जैसे कंघा, महावर, सिंदूर, मेहंदी, बिंदी, चूड़ी, बिछिया आदि।
कपूर, दीपक, अगरबत्ती, रूई की बाती, गेहूं।
करवा चौथ पर कब निकलेगा आपके शहर में चांद
करवा चौथ के दिन चांद निकलने का समय रात 8 बजकर 15 मिनट है। इंदौर में करवा चौथ का चांद रात 8 बजकर 37 मिनट पर निकलेगा। उस समय पर व्रती महिलाएं चंद्रमा की पूजा करेंगी। फिर जल, कच्चे दूध, सफेद फूल और अक्षत् से चंद्रमा को अर्घ्य देंगी।
करवा चौथ व्रत कथा
प्राचीन समय में करवा नाम की एक स्त्री अपने पति के साथ एक गांव में रहती थी। उसका पति नदी में स्नान करने गया। नदी में नहाते समय एक मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़ लिया। उसने पत्नी को सहायता के लिए पुकारा। करवा भागकर अपने पति के पास पहुंची और तत्काल धागे से मगरमच्छ को बांध दिया। उसका सिरा पकड़कर करवा पति के साथ यमराज के पास तक पहुंच गई। यमराज के साथ प्रश्न उत्तर के बाद करवा के साहस को देखते हुए यमराज को उसके पति को वापस करना पड़ा।
जाते समय उन्होंने करवा को सुख-समृद्धि के साथ वर भी दिया- जो स्त्री इस दिन व्रत करके करवा को याद करेगी, उनके सौभाग्य की मैं रक्षा करूंगा। इस कथा में करवा ने अपने सशक्त मनोबल से अपने पति के प्राणों की रक्षा की। मान्यता है कि जिस दिन करवा ने अपने पति के प्राण बचाए थे, उस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी थी।
व्रत रखने का अर्थ ही है संकल्प लेना। वह संकल्प चाहे पति की रक्षा का हो, परिवार के कष्टों को दूर करने का या कोई और यह संकल्प वही ले सकता है, जिसकी इच्छा शक्ति मजबूत हो। प्रतीकात्मक रूप में करवा चौथ पर महिलाएं अन्न-जल त्याग कर यह संकल्प लेती हैं और अपनी इच्छा शक्ति की परख करती हैं। यह पर्व संकेत देता है कि स्त्री अबला नहीं, बल्कि सबला है और वह भी अपने परिवार को बुरे वक्त से उबार सकती है।