Jun 02 2023 / 3:03 PM

कुण्डली ग्रह और बिमारी विशेष

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हर बीमारी का समबन्ध किसी न किसी ग्रह से है जो आपकी कुण्डली में या तो कमजोर है या फिर दूसरे ग्रहों से बुरी तरह प्रभावित है यदि स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है तो आज धनवान कोई नहीं है हर व्यक्ति के शरीर की संरचना या तासीर अलग होती है किसे कब क्या कष्ट होगा यह तो डॉक्टर, हकीम या वैध भी नहीं बता सकता परन्तु एक सटीक ज्योतिष इसकी पूर्वसूचना दे देता है कि आप किस रोग से पीड़ित होंगे ? या क्या व्याधि आपको शीघ्र प्रभावित करेगी…

सूर्य ग्रह से रोग
सूर्य ग्रहों का राजा है इसलिए यदि सूर्य आपकी कुण्डली में बलवान है तो आपकी आत्मा बलवान होगी आप शरीर की छोटी-मोटी व्याधियों पर ध्यान नहीं देंगे परन्तु यदि सूर्य अच्छा नहीं है तो सर्व प्रथम आपके बाल झड़ेंगे। सर में दर्द आए दिन होगा और आपको दर्द निवारक दवा का सहारा लेना ही पड़ेगा.

चन्द्र ग्रह से मानसिक रोग
चन्द्र संवेदनशील लोगों का अधिष्ठाता ग्रह होता है यदि चन्द्र कमजोर है तो मन कमजोर होगा और आप भावुक अधिक होंगे। कठोरता से आप तुरंत प्रभावित हो जाएंगे और सहनशक्ति भी कम होगी इसके बाद सर्दी जुकाम और खांसी कफ जैसी व्याधियों से जल्दी प्रभावित हो जाएंगे उपाय यह है कि संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में न आएं, क्योंकि आपको भी संक्रमित होने में देर नहीं लगेगी चन्द्र अधिक कमजोर होने से सर्दी से पीड़ित होंगे चन्द्र के कारण स्नायुतंत्र भी प्रभावित होता है.

मंगल ग्रह और सुस्त व्यक्ति
मंगल रक्त का प्रतिनिधित्व करता है परन्तु जिनका मंगल कमजोर होता है रक्त की बीमारियों के अतिरिक्त जोश की कमी होगी ऐसे व्यक्ति हर काम को धीरे धीरे करेंगे वह जातक सुस्त दिखाई देगा और किसी भी काम को सही ऊर्जा से नहीं कर पाता खराब मंगल से चोट चपेट और दुर्घटना आदि का भय बना रहता है.

बुध ग्रह से दमा और अन्य रोग
बुध व्यक्ति को चालाक और धूर्त बनाता है आज यदि आप चालाक नहीं हैं तो दुसरे लोग आपका हर दिन लाभ उठाएंगे। जो भोले भाले लोग होते हैं उनका बुध अवश्य ही कमजोर होता है और खराब बुध से व्यक्ति को चर्म रोग अधिक होते हैं सांस की बीमारियां बुध के दूषित होने से होती हैं बहुत खराब बुध से व्यक्ति के फेफड़े खराब होने का भय रहता है व्यक्ति हकलाता है तो भी बुध के कारण और गूंगा बहरापन भी बुध के कारण ही होता है.

ब्रहस्पति ग्रह और मोटापा
गुरु यानी ब्रहस्पति व्यक्ति को बुद्धिमान बनाता है परन्तु पढ़े लिखे लोग यदि मूर्खों जैसा व्यवहार करें तो समझ लीजिए कि व्यक्ति का गुरु कुंडली में खराब है गुरु सोचने समझने की शक्ति को प्रभावित करता है जातक जडमति हो जाता है इसके साथ ही गुरु कमजोर होने से पीलिया या पेट के अन्य रोग होते हैं। गुरु यदि दुष्ट ग्रहों से प्रभावित होकर लग्न को प्रभावित करता है तो मोटापा देता है अधिकतम लोग जो शरीर से काफी मोटे होते हैं उनकी कुंडली में गुरु की स्थिति कुछ ऐसी ही होती है.

शुक्र ग्रह और शुगर या मधुमेह
शुक्र ग्रह मनोरंजन का कारक है शुक्र स्त्री, यौन सुख, वीर्य और हर प्रकार के सुख और सुन्दरता का कारक ग्रह है यदि शुक्र की स्थिति अशुभ है तो जातक के जीवन से मनोरंजन को समाप्त कर देता है नपुंसकता या सेक्स के प्रति अरुचि का कारण अधिकतम शुक्र ही बनता है मंगल की दृष्टि या प्रभाव निर्बल शुक्र पर हो तो जातक को रक्त मधुमेह (ब्लड शुगर) हो जाता है साथ ही शुक्र के अशुभ होने से व्यक्ति के शरीर को बेडोल बना देता है बहुत अधिक पतला शरीर या ठिगना कद शुक्र की अशुभ स्थिति के कारण होते हैं.

शनि ग्रह और लम्बे रोग
शनि दुःख और पीड़ा का प्रतिनिधित्व करता है। जितने प्रकार की शारीरिक व्याधियां हैं उनके परिणामस्वरूप व्यक्ति को जो दुःख और कष्ट प्राप्त होता है उसका कारण शनि ग्रह होता है शनि का प्रभाव दूसरे ग्रहों पर हो तो शनि उसी ग्रह से संबंधित रोग देता है शनि की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक कुछ भी कर ले सर दर्द कभी पीछा नहीं छोड़ता चन्द्र पर हो तो जातक को जुखाम होता है मंगल पर हो तो रक्त की कमी या ब्लड प्रेशर, बुध पर हो तो नपुंसकता, गुरु पर हो तो मोटापा, शुक्र पर हो तो वीर्य के रोग या प्रजनन क्षमता को कमजोर करता है और राहू पर शनि के प्रभाव से जातक को उच्च और कमजोर रक्तचाप दोनों से पीड़ित रखता है केतु पर शनि के प्रभाव से जातक को गम्भीर रोग होते हैं परन्तु कभी रोग का पता नहीं चलता और आयु निकल जाती है पर बीमारियों से जातक जूझता रहता है। दवा का प्रभाव नहीं होता और अधिक विकट स्थिति में लाइलाज रोग शनि ही देता है.

राहू ग्रह और ब्लड प्रेशर
राहू एक रहस्यमय ग्रह है। इसलिए राहू से जातक को जो रोग होंगे वह भी रहस्यमय ही होते हैं एक के बाद दूसरी पीड़ा राहू से ही होती है राहू अशुभ हो तो जातक का इलाज चलता रहता है और डॉक्टर के पास आना जाना लगा रहता है किसी दवाई से रिएक्शन या एलर्जी राहू से ही मिलती है वहम यदि एक रोग है जो राहू देता है डर के कारण हृदयाघात राहू से ही होता है अचानक हृदय गति रुक जाना या स्ट्रोक राहू से ही होता है.

केतु ग्रह और प्रेत बाधा
केतु से होने वाली बीमारी का पता चलना बहुत कठिन हो जाता है केतु खराब हो तो फोड़े फुंसियां देता है और यदि थोड़ा और खराब हो तो घाव जो देर तक न भरे वह केतु के कारण से ही होता है केतु मनोविज्ञान से सम्बन्ध रखता है उपरी आपदा या भूत प्रेत बाधा केतु के कारण ही है.

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