बिहार सरकार को पटना हाई कोर्ट से बड़ा झटका, जातीय जनगणना पर लगाई अंतरिम रोक

नई दिल्ली। बिहार हाईकोर्ट ने आज राज्य में जातिगत जनगणना पर रोक लगा दी है। तीन जुलाई को अगलगी सुनवाई होगी, तब तक किसी भी तरह के रिपोर्ट बनाने पर रोक लगा दी गई है। यह आदेश गुरुवार दोपहर ढाई बजे के बाद चीफ जस्टिस की बेंच ने सुनाया।
याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट अभिनव श्रीवास्तव और दीनू कुमार और बिहार सरकार की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने अपना-अपना पक्ष रखा। इस मामले में मुख्य न्यायाधीश ने महाधिवक्ता से पूछा था कि सरकार को यह कराना था तो इसके लिए कोई कानून क्यों नहीं पास किया?
इसपर महाधिवक्ता शाही ने जवाब दिया था कि राज्यपाल के अभिभाषण में सारी बातें स्पष्ट की गईं कि इसे किस आधार पर कराया जा रहा है और इसका लक्ष्य अंतिम तौर पर राज्य की जनता के लिए योजनाओं को बनाने और क्रियान्वित करने का है।
जाति आधारित जन-गणना पर सोमवार, मंगलवार, बुधवार यानी एक से तीन मई तक लगातार पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। जनहित याचिका पर सरकार की ओर से दिया गया बिंदुवार जवाब रिकॉर्ड पर नहीं होने के कारण मंगलवार की तारीख मिली थी। मंगलवार को पूरे दिन कोर्ट ने दोनों पक्ष की दलीलें सुनी। जनहित याचिका दायर करने वाले लोग इस बात से उत्साहित दिखे कि कोर्ट ने सरकार से जातिगत गणना के लिए कानून नहीं बनाए जाने पर सवाल पूछा।
इसके बाद पहली बार मीडिया से बात करते हुए डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा है कि राज्य में जातिगत जनगणना होकर रहेगी। ये यहां के लोगों के भलाई के लिए है और बिहार की जनता की मांग भी थी कि यहां पर जातिगत जनगणना कराई जाए। तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार की जेडीयू-आरजेडी महागठबंधन सरकार जातिगत जनगणना कराने के लिए प्रतिबद्ध है।