किसान आंदोलन: 11वें दौर की बैठक भी बेनतीजा, किसानों ने ठुकराया सरकार का प्रस्ताव

नई दिल्ली। किसान कानूनों को लेकर शुक्रवार को सरकार और किसान संगठनों के बीच 11वें दौर की बैठक हुई। हालांकि यह बैठक भी बेनतीजा ही खत्म हुई। सरकार ने कानूनों के अमल पर 18 महीने तक रोक का प्रस्ताव दिया था, इसे भी किसानों ने ठुकरा दिया है। किसान संगठन कानूनों को रद्द किए जाने और एमएसपी पर कानून लाने की मांग पर अड़े हैं। उधर, सरकार एमएसपी पर राजी है, मगर कानूनों को वापस लेने के पक्ष में नहीं है।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार डेढ़ साल तक कृषि कानूनों पर रोक लगाने के लिए तैयार है। इससे बेहतर प्रस्ताव सरकार नहीं दे सकती। नरेंद्र तोमर ने कहा कि अगर किसान बातचीत करने को तैयार हैं तो हम बातचीत कल भी कर सकते हैं लेकिन फिलहाल विज्ञान भवन कल खाली नहीं है। कृषि मंत्री ने बातचीत के लिए किसानों का धन्यवाद किया।
सरकार के साथ 11वें दौर की वार्ता के बाद किसान नेता ने कहा कि सरकार द्वारा जो प्रस्ताव दिया गया था वो हमने स्वीकार नहीं किया। कृषि कानूनों को वापस लेने की बात को सरकार ने स्वीकार नहीं की। अगली बैठक के लिए अभी कोई तारीख तय नहीं हुई है।
सरकार के साथ 11वें दौर की वार्ता के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार की तरफ से कहा गया कि 1.5 साल की जगह 2 साल तक कृषि कानूनों को स्थगित करके चर्चा की जा सकती है। उन्होंने कहा अगर इस प्रस्ताव पर किसान तैयार हैं तो कल फिर से बात की जा सकती है, कोई अन्य प्रस्ताव सरकार ने नहीं दिया।
बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा कि बैठक बेशक लगभग पांच घंटे तक चली हो, लेकिन दोनों पक्ष 30 मिनट से कम समय तक आमने-सामने बैठे। अगली बैठक के लिए कोई तारीख तय नहीं की गई, सरकार ने यूनियनों को दिये गये सभी संभावित विकल्पों के बारे में बताया, उनसे कहा कि उन्हें कानूनों को स्थगित करने के प्रस्ताव पर अंदरूनी चर्चा करनी चाहिए।
सूत्रों के मुताबिक, बैठक के दौरान सरकार और किसानों के बीच टकराव की स्थिति बन गई थी। किसान फिर कृषि मंत्री के सामने तीनों कृषि कानून रद्द करने की मांग पर अड़ गए हैं। मीटिंग में किसानों ने बिल्कुल साफ कह दिया है- जब तक सरकार कृषि कानून वापस नहीं लेगी, तब तक आंदोलन खत्म नहीं होने वाला है।
हालांकि नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से अपील की है कि वो सरकार के प्रस्ताव पर दोबारा विचार करें। बता दें कि केंद्र सरकार ने किसानों को डेढ़ साल तक किसान कानून टालने का प्रस्ताव दिया था जिसे किसान पहले से ठुकरा चुके हैं।