लखनऊ/ हाथरस। हाथरस हादसे के सात दिन बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने पहला एक्शन लेते हुए एसडीएम, सीओ समेत छह अफसरों को सस्पेंड कर दिया है। सरकार ने एसआईटी की रिपोर्ट के बाद यह कार्रवाई की। एसआईटी ने सोमवार रात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 900 पेज की रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट के बाद सरकार ने नौ बिंदुओं पर बयान जारी किया। जिसमें आयोजकों और प्रशासनिक अधिकारियों को लापरवाह बताया गया। लेकिन कहीं भी भोले बाबा का जिक्र नहीं है। इस तरह जिला प्रशासन के बाद सरकार से भी भोले बाबा को क्लीन चिट मिल गई है। उसका नाम एफआईआर में भी नहीं था। जिन अफसरों को सस्पेंड किया गया, उनमें एसडीएम रविंद्र कुमार, सीओ आनंद कुमार के अलावा इंस्पेक्टर आशीष कुमार, तहसीलदार सुशील कुमार और चौकी इंचार्ज कचौरा मनवीर सिंह और पारा चौकी इंचार्ज बृजेश पांडे शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
इधर, हाथरस हादसे का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। मंगलवार को याचिकाकर्ता वकील विशाल तिवारी से चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा- मैंने कल ही याचिका को लिस्टेड करने का आदेश दिया। याचिका में हादसे की जांच रिटायर्ड जस्टिस की निगरानी में पांच सदस्यीय टीम से कराने की मांग की गई थी।
एसआईटी ने 150 लोगों के बयान दर्ज किए
एसआईटी ने रिपोर्ट में कहा- हादसे में साजिश से इनकार नहीं किया जा सकता है। इसकी गहनता से जांच जरूरी है। हादसा आयोजकों की लापरवाही से हुआ। पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने आयोजन को गंभीरता से नहीं लिया। वरिष्ठ अफसरों को इसकी जानकारी तक नहीं दी गई। भीड़ के लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम नहीं किए गए। आयोजकों ने बिना पुलिस वैरिफिकेशन जिन लोगों को अपने साथ जोड़ा, उनसे अव्यवस्था फैली है। जांच के दौरान 150 अफसरों, कर्मचारी और पीड़ित परिवारों के बयान दर्ज किए गए।
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