मध्यप्रदेश

नए कानून के तहत प्रदेश में भोपाल में पहली एफआईआर दर्ज

बदल गए देश के आपराधिक कानून

भोपाल। देश में अंग्रेजों के जमाने से चल रहे कानूनों की जगह तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम आज से लागू हो गए हैं। इन्हें आईपीसी (1860), सीआरपीसी (1973) और एविडेंस एक्ट (1872) की जगह लाया गया है। नए कानून लागू होने से पहले देशभर के थानों में लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए कानूनों के बारे में पोस्टर लगाए गए हैं। भारतीय न्याय संहिता-2023 (बीएनएस) की धारा 296 के तहत प्रदेश में पहली एफआईआर भोपाल के हनुमानगंज थाने में रात 12:05 बजे दर्ज की गई। इसके अलावा दिल्ली में भी कमला मार्केट थाने में बीएनएस की धारा 285 के तहत एक रेहड़ी-पटरी वाले के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

राजद्रोह बना अब देशद्रोह, धारा 420 भी खत्म
तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। इसके साथ ही औपनिवेशिक काल के कानूनों का अंत हो गया है। कई ऐसे अपराध थे जिन्हें आईपीसी में पारिभाषित नहीं किया गया था। इसमें यह नहीं बताया गया था कि कौन से अपराध आतंकवाद की श्रेणी में आएंगे। नए कानून में भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा और आर्थिक सुरक्षा को खतरा पैदा करने को आतंकवाद की श्रेणी में रखा गया है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 113 में इसका वर्णन किया गया है। इसमें भारतीय मुद्रा की तस्करी भी शामिल होगी। आतंकवादी गतिविधियों के लिए उम्रकैद या फिर मौत की सजा भी हो सकती है। कानून के मुताबिक आतंकी साजिश रचने के लिए पांच साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा आतंकी संगठन से जुड़ने पर उम्रकैद और जुर्माने का प्रावधान है। आतंकियों को छिपाने पर तीन साल से लेकर उम्रकैद की सजा हो सकती है। इसके अलावा जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
खत्म हो गया राजद्रोह का अपराध
भारतीय न्याय संहिता में राजद्रोह को समाप्त कर दिया गया है। वहीं भारत की एकता और अखंडता को खतरा पहुंचाने वाले कृत्यों को देशद्रोह में शामिल किया गया है। इसके लिए बीएनएस की धारा 152 लगाई जाएगी। वहीं मॉब लिंचिंग अपराध के लिए उम्रकैद से लेकर मौत तक की सजा हो सकती है। इसे बीएनएस की धारा 103 (2) में शामिल किया गया है।
बीएनएस में आईपीसी की धाराएं बदली
हत्या के लिए आईपीसी में धारा 302 थी जो कि बीएनएस में धारा 101 हो गई है।
हत्या का प्रयास का मुकदमा जो धारा 307 के तहत दर्ज होता था, अब धारा 109 के तहत दर्ज होगा।
गैर इरादतन हत्या के लिए धारा 105 लागू होगी जो कि आईपीसी में धारा 304 थी।
दहेज हत्या से जुड़ी धारा 80 होगी जो कि आईपीसी में धारा 304बी थी।
चोरी के लिए अब धारा 303 में मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
आईपीसी के तहत धारा 379 में चोरी का मुकदमा दर्ज होता था।
अब नहीं होगी धारा 420
इसी तरह रेप की धारा 376 से बदलकर अब  64 हो गई है। छेड़छाड़ का मुकदमा धारा 74 के तहत दर्ज होगा। धोखाधड़ी का केस धारा 420 की जगह अब 318 के तहत दर्ज होगा। लापरवाही से मौत का मामला धारा 106 के अंतरगत आएगा जो कि पहले 304ए में आता था। आपराधिक षड्यंत्र के लिए धारा 120बी की जगह धारा 61 लागू होगी। मानहानि के लिए धारा 499, 500 की जगह अब 356 लागू होगी। लूट और डकैती के लिए क्रमशः धारा 309 और धारा 310 होगी।

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